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ऑयस्टर मशरुम - कम लागत से शुरू करे व्यापार।

उत्तम शाकाहारी भोजन में मशरुम का विशेष महत्व है,यह पोषक तत्वों के साथ साथ स्वाद में भी अतुलनीय है। यह फफूंद हमारे आस-पास कई रूप में दिख जाते है,पर हम कुछ गिने चुने को ही ग्रहण करते है। एक हिसाब से हम इसे" मशरुम एक फफूंदी पौधा है जो अपना भोजन अन्य पदार्थो से ग्रहण कर अपना विकाश करता है" के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। मुख्यतः मशरुम व्यसायिक रूप मे 3 प्रकार होते हैं। 1. ऑयस्टर मशरूम 2. मिल्की एवम पैरा मशरुम 3. बटन मशरूम                             आज हम ऑयस्टर मशरुम की खेती के बारे में जानेंगे , क्योकि यह मशरूम उगाने में बहुत ही सरल एवं कम समय एवं कम लागत मे उत्पादित होता है। ऑयस्टर मशरूम समान्य नाम - ढींगरी मशरूम वैज्ञानिक नाम - फ्लूयुरोटस ओएस्ट्रीएटस कुल - फ्लूयुरोटेसी            भारत मे यह प्रजाति में लगभग 12 किस्मों को उगाया जाता है,जिसमे 3  मुख्य प्रकार कुछ इस तरह है 1. फ्लोरिडा - 👇                         यह ऑयस्ट...
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छत पर सब्जी उगाये 🍉पैसे बचाये💎

 वर्तमान समय में शरीर में इम्युनिटी बरकार रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सब्जियों का सेवन अति आवश्यक है, परंतु बाजार में लाभ कमाने के कारण सब्जियां सुंदर और स्वस्थ तो दिखती है, पर वास्तव में इसमे वो गुण पाया जाता है? लाभ अधिक लेने के लिए इसमें कई तरह से रासायनिक उर्वरक और किट नाशक का प्रयोग होता है,जो हमे स्वस्थ रखने के बजाय हमारे शरीर मे कई बीमारियों को जन्म देती है ,और हम गैस ,रक्तचाप अनिमियता, हृदय रोग,और मधुमेह आदि से ग्रसित हो जाते है।                                                          इसके अलावा शहरीकरण और जनसंख्या विस्फोट के कारण कृषि योग्य जमीन भी ख़त्म होने के कगार पर है,परन्तु इसका विकल्प है हमारी कि छतें जो खाली पड़ी रहती है,इसका प्रयोग करके जैविक खेती कर सकते हैं।आइये जानते है छत पर खेती कैसे करें? छत में खेती के प्रकार 1.कंक्रीट की क्यारी बनाकर - 👇                     ...

करेले की उन्नत खेती कैसे करे?

 भारत मे करेले की खेती   लम्बे समय से हो रही है।सब्जियों में     इसका महत्व स्वाद के साथ साथ औषधीय में इसका प्रयोग   होता है। मधु मेह रोगियों के लिए इसका सेवन उत्तम माना   जाता है। पोषक गुण   यह खनिज से भरपूर होता है। इसमें पोटेशियम , जिंक ,   मैग्नेशियम , फास्फोरस , कैल्शियम , आयरन , कॉपर ,     मैगनीज  पाए जाते है । विटामिन C , विटामिन A , इसमें   प्रचुरता में होते है। विटामिन B समूह के फोलेट , थायमिन ,   नियासिन , राइबोफ्लेविन , पैण्टोथेनिक एसिड आदि भी इसके   उपयोग से मिलते है। उन्नत किष्मे बाजार में इसकी बहुत से संशोधित और संकर किष्मे उपलब्ध है।  छत्तीशगढ़ में उपलब्ध के नाम कुछ इस तरह से है - पूसा विशेष,अर्का हरित,Bioseed चु चु,पान 1931,Vnr 28no इत्यादि । भूमि का चुनाव   करेले की खेती के लिए विशेषकर बलुई दोमट और मटासी मृदा में सफलता पूर्वक की जा सकती है,इसके लिए आवश्यक को की मृदा भुरभुरी जीवान्स युक्त हो जिससे जल का निकास अच्छी तरह हो। इसके लिए pH मान 6-7के बीच होना ...