वर्तमान समय में शरीर में इम्युनिटी बरकार रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सब्जियों का सेवन अति आवश्यक है, परंतु बाजार में लाभ कमाने के कारण सब्जियां सुंदर और स्वस्थ तो दिखती है, पर वास्तव में इसमे वो गुण पाया जाता है? लाभ अधिक लेने के लिए इसमें कई तरह से रासायनिक उर्वरक और किट नाशक का प्रयोग होता है,जो हमे स्वस्थ रखने के बजाय हमारे शरीर मे कई बीमारियों को जन्म देती है ,और हम गैस ,रक्तचाप अनिमियता, हृदय रोग,और मधुमेह आदि से ग्रसित हो जाते है।
इसके अलावा शहरीकरण और जनसंख्या विस्फोट के कारण कृषि योग्य जमीन भी ख़त्म होने के कगार पर है,परन्तु इसका विकल्प है हमारी कि छतें जो खाली पड़ी रहती है,इसका प्रयोग करके जैविक खेती कर सकते हैं।आइये जानते है छत पर खेती कैसे करें?
छत में खेती के प्रकार
1.कंक्रीट की क्यारी बनाकर - 👇
छत से लगभग 4-6 इंच ऊपर उठाकर 3.5 फ़ीट चौड़ी, 10-12 इंच ऊंची एवम लंबाई अपनी इच्छा अनुसार रख सकते हैं। जल निकास की दिशा में 1 इंच मोटी पाइप लगाकर जल निकास पाइप पर जोड़ ले ताकि छतो को कोई नुकसान न हो।
२.प्लास्टिक की क्यारी में - 👇
बाजार में 3 फ़ीट लम्बी 2 फ़ीट चौड़ी और 9 इंच गहरी क्यारी उपलब्ध है। एक क्यारी से दूसरी क्यारी के बीच 3 फ़ीट की दूरी अवश्य रखे ताकि एक क्यारी का पौधा दूसरी क्यारी के पौधों को नुकसान ना पहुचाये,जल निकास के लिये नीपुल अवश्य लगा ले।
3.गमलों में - 👇
सामान्य सब्जी के लिए 1.5 - 2 फ़ीट गहरी गमला और बेल वाली सब्जी के लिए 3 फीट गहरी गमलो की अवश्यकता होती है।
4.प्लास्टिक की आफिस ट्रे में - 👇
यह बाजार में 12 - 18 और 15 - 24 में उपलब्ध होती है जिसकी गहराई 4 इंच होती है, इस ट्रे का समान्यतः भाजी वर्गीय फसलो के लिए किया जाता है जैसे धनिया मेथी, लाल भाजी चौलाई आदि।
गमलों और क्यारियों की मिश्रण भराई
जैसा कि हम जानते है भूमि में 45% खनिज पदार्थ 5% जीवांश एवम 50% जल तथा पानी उपलब्ध होती है इसी को आधार मानकर पॉट मिश्रण तैयार करना होता है। मिश्रण ऐसा होना चाहिए कि जल निकास सुगमता से हो सके। जड़ो में वायु संचार अच्छा होने से पौधों का विकाश आपेक्षिक होता है। मुख्यतः भराई मिश्रण 2 प्रकार से कर सकते हैं-
1. मृदा सहित मिश्रण 👇
बगीचे के मिट्टी को लाकर धूप में सुखा लें , उसके बाद डंडे से मिट्टी को कूटकर उसे अच्छी तरह भुरभुरा बना ले,तत्पश्चात 2 भाग मिट्टी , 1 भाग सड़ी हुई गोबर खाद और 1 भाग रेत अच्छी तरह मिला ले। यदि नारियल का छिलका उपलब्ध हो तो उसे छोटे टूकड़े में काटकर इसमे मिला सकते है, इससे पौधों में बढ़वार अच्छी होती है। इस विधि में गमला और क्यारी का वजन अधिक बन जाता है।मिश्रण को गमला/क्यारी में डालकर बीज की बुआई कर दे और सिचांई करे।
2. मृदा रहित मिश्रण 👇
इस मिश्रण में मुख्यतः 2 पदार्थ मिलाये जाते हैं, नारियल बुरादा 1kg (cocopit) एवं केंचुए की खाद 4kg (vermicompost)। यदि संभव हो तो इसमें लकड़ी का बुरादा (saw dust) भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण में छत पर ज्यादा दबाव नही पड़ता क्योकि गमले या क्यारियों का वजन बहुत कम होता है। इस विधि में सिंचाई का विशेष ध्यान देना होता है,क्योकि पानी मिश्रण में ज्यादा समय नही ठहरता है।
मौसम के आधार पर सब्जियों का चयन
1. वर्षा ऋतु 👇
टमाटर, खीरा, चौलाई, लाल भाजी, भिंडी, चेंच भाजी, मूली,अरबी(कोचई),जमीं कंद, तुरई,ग्वार फल्ली इत्यादी।
2. शीत ऋतु 👇
करेला, गाजर, लहसुन, प्याज, धनिया, मेथी, फूल गोभी, गांठ गोभी, पत्ता गोभी,टमाटर, मिर्च, बैगन, बरबट्टी इत्यादि।
3. ग्रीष्म ऋतु 👇
भिंडी, चौलाई , चेंच भाजी,करेला, खीरा, टमाटर, लौकी, कद्दू, ककड़ी, डोरका, मिर्च,पत्ता गोभी इत्यादि।
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